Bilaspur High Court News: बेटे की कस्टडी और मिलने की अनुमति की याचिका में सुनवाई, बेटे से बात करने पिता मां को खरीदकर देंगे एंड्रॉयड फोन | Bilaspur High Court News: Hearing in the petition for custody and permission to meet the son, the father will buy the mother an Android phone to talk to the son.

10/1/2025, 8:27:15 AM
Bilaspur High Court News: बिलासपुर। बेटे की कस्टडी और मिलने की अनुमति को लेकर दायर पिता की याचिका पर हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने पिता को राहत देते हुए बेटे से मिलने की अनुमति दे दी है। पिता को सप्ताह में दो बार वीडियो कॉल और वीकेंड पर बेटे से मिलने की छूट दी है। बेटे से बात करने के लिए पिता को एंड्रायड फोन खरीदकर देना होगा। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने मुलाकात के अधिकार पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा, कोर्ट जब बच्चों को माता-पिता के साथ एक घर का सुख न दे सके, तब ऐसी स्थिति में बच्चों को माता-पिता के दो सुखी घर का अधिकार मिलना चाहिए। डिवीजन बेंच ने पिता की अपील मंजूर करते हुए कहा कि माता-पिता का स्नेह और सानिध्य मिलना बच्चे का मौलिक अधिकार है। बेंच ने याचिकाकर्ता पिता को सप्ताह में दो बार वीडियो कॉल और हर शनिवार-रविवार को बेटे से मुलाकात की अनुमति दी है। फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की थी याचिका पिता ने बेटे की कस्टडी के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका।दायर की थी। फैमिली कोर्ट ने महीने में सिर्फ एक बार मां के घर जाकर बेटे से मिलने का अंतरिम आदेश दिया था। कोर्ट ने महीने में एक बार मोबाइल से बात या वीडियो कॉल की अनुमति दी थी। फैमिली कोर्ट के आदेश को पिता ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा, फैमिली कोर्ट का आदेश अस्पष्ट और अव्यावहारिक है, जिससे बेटे से उनका रिश्ता टूटने की कगार पर है। माता-पिता का प्यार पाना बच्चे का अधिकार है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने कहा, बच्चे के सर्वोत्तम हित के लिए आदेश में संशोधन जरूरी हो गया है। बेंच ने कहा, अगर कोर्ट बच्चे को दो माता-पिता वाला एक सुखी घर नहीं दे सकता, तो उसे माता-पिता के साथ दो सुखी घर का लाभ मिलना चाहिए। बच्चे के पालन-पोषण में माता-पिता की उपस्थिति जरूरी है। हाई कोर्ट का फैसला इनके लिए राहत भरी हाई कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट के युग में दोनों के पास सुविधा होने पर वीडियो कॉलिंग संपर्क का बेहतर विकल्प है। जिस माता-पिता को बच्चे की कस्टडी नहीं मिली है, उसे अपने बच्चे से जितनी बार संभव हो, बात करनी चाहिए। यह संवाद बच्चे और कस्टडी से वंचित माता-पिता के बीच संबंध बनाए रखने में मदद करेगा। पिता के दादा दादी को भी राहत डिवीजन बेंच ने अपने आआदेश मे कहा, पिता और दादा-दादी सप्ताह में दो बार 5-10 मिनट वीडियो कॉल कर बात कर सकेंगे। प्रत्येक शनिवार और रविवार सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक पिता व दादा-दादी बच्चे से मिल सकेंगे। पिता की पसंद का रेस्टोरेंट या महिला एवं बाल विकास विभाग का दफ्तर में मुलाकात कर सकेंगे। बेंच ने कहा, पिता को पीटीएम और स्कूल के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का अधिकार रहेगा।