Prashant Kishor Targets Top Bihar Leaders Ahead of 2025 Elections: Ashok Choudhary, BJP, JDU | प्रशांत किशोर बिहार चुनाव में बड़े नेताओं के साथ करेंगे खेला! जानिए क्या है इनका मास्टरस्ट्रोक | News Track in Hindi

10/1/2025, 9:51:56 AM
Bihar Politics: जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) अब सिर्फ़ "किंगमेकर" नहीं बल्कि "किंग" बनने का सपना लेकर मैदान में हैं। उन्होंने पिछले दो साल बिहार के गाँव-गाँव घूमकर लोगों के मुद्दों और राजनीति की नब्ज़ टटोली। अब चुनावी माहौल गरम होते ही पीके पूरे जोश में दिखाई दे रहे हैं और सीधे बड़े नेताओं को चुनौती दे रहे हैं। शुरुआत में पीके ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधा था, लेकिन अब उनका फोकस एनडीए और जेडीयू नेताओं पर है। खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले अशोक चौधरी पर उन्होंने सीधा हमला बोला है। इसके अलावा पीके ने भाजपा के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल और मंत्री मंगल पांडेय पर भी कड़ा प्रहार किया है यानी साफ है कि बिहार की सियासत में पीके किसी समझौते के मूड में नहीं हैं और एक-एक कर सभी बड़े नेताओं को अपने निशाने पर ले रहे हैं। पीके की राजनीति और केजरीवाल का असर प्रशांत किशोर की राजनीति में अब अरविंद केजरीवाल वाला अंदाज़ साफ दिखने लगा है। जैसे केजरीवाल ने राजनीति में उतरने से पहले बड़े-बड़े नेताओं को भ्रष्टाचार के सवालों में घेरा और खुद को ईमानदार छवि वाले नेता के रूप में पेश किया, ठीक उसी तरह पीके भी बिहार में काम कर रहे हैं। उन्होंने उन नेताओं को अपना निशाना बनाया है जो अपनी-अपनी पार्टियों के सबसे अहम चेहरे और बड़े नेता माने जाते हैं। पीके की रणनीति यही है कि पहले जनता के बीच खुद को ईमानदार और साफ-सुथरी छवि वाले नेता के तौर पर स्थापित करें और फिर विरोधियों पर सीधा हमला बोलें। बिहार की सियासत में इस समय पीके का पूरा ध्यान इन्हीं नेताओं को घेरने और उनके इर्द-गिर्द चुनावी माहौल बनाने पर है। प्रशांत किशोर इन दिनों हर रोज़ नए आरोपों और दस्तावेज़ों के साथ सामने आ रहे हैं। इसी वजह से भाजपा और जेडीयू दोनों पार्टियों पर दबाव बढ़ गया है। अब हालात ऐसे हैं कि इन दलों के भीतर से भी अपने नेताओं पर सवाल उठने लगे हैं। बिहार चुनावी माहौल के बीच पीके चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। पीके का टारगेट कौन-कौन? पीके ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी मंत्री अशोक चौधरी को घेरा है। इसके साथ ही भाजपा के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, मंत्री मंगल पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल भी उनके निशाने पर हैं। इन नेताओं को निशाना बनाने के पीछे पीके की साफ रणनीति दिखती है, वो उन्हीं चेहरों को टारगेट कर रहे हैं, जिन्हें जेडीयू और भाजपा चुनाव में सबसे आगे कर रहे हैं। आरोपों के जरिए पीके इनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। नीतीश के खास नेता अशोक चौधरी पर सवाल अशोक चौधरी नीतीश कुमार के भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते हैं और जेडीयू के दलित चेहरे माने जाते हैं। फिलहाल वे नीतीश सरकार में ग्रामीण कार्य मंत्री हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी अशोक चौधरी ने जेडीयू के लिए अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन अब पीके के निशाने पर आने के बाद पार्टी के भीतर हलचल बढ़ गई है। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि अशोक चौधरी को आरोपों पर स्थिति साफ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जेडीयू पहली बार इतनी बड़ी अग्निपरीक्षा से गुजर रहा है, जबकि पार्टी हमेशा भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलती आई है। पीके ने अशोक चौधरी पर लगाए भारी आरोप प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया है कि जेडीयू नेता अशोक चौधरी और उनके परिवार ने पिछले दो साल में लगभग 200 करोड़ रुपये की जमीन खरीदी है। पीके ने इस संबंध में चार बड़े जमीन सौदों की पूरी लिस्ट भी जारी की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अशोक चौधरी के खिलाफ उनके पास और भी सबूत मौजूद हैं। जब अशोक चौधरी ने पीके को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा, तो प्रशांत किशोर ने और भी आक्रामक रुख अपनाया। हालांकि जेडीयू ने अभी तक अशोक चौधरी पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनसे दूरी बना ली है। ऐसे में पहले फ्रंटफुट पर रहने वाले अशोक चौधरी अब बैकफुट पर खड़े नजर आ रहे हैं। बीजेपी के 'चौधरी' भी कटघरे में बीजेपी ने बिहार में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को चुनावी रणनीति के तहत आगे रखा था, ताकि ओबीसी वोट बैंक को साधा जा सके। दोनों नेता फ्रंटफुट पर रहकर चुनावी बैटिंग कर रहे थे। लेकिन अब प्रशांत किशोर ने उन्हें भी अपने निशाने पर ले लिया है। पीके ने सम्राट चौधरी पर नाम बदलने, हत्या में शामिल होने और सातवीं कक्षा फेल होने जैसे आरोप लगाए हैं। साथ ही पीके ने कहा कि उन्हें छह महीने जेल भी हो सकती है।बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर पीके ने किशनगंज में मेडिकल कॉलेज पर कब्जा करने के आरोप लगाए हैं। पीके ने भाजपा के नेताओं को बनाया निशाना प्रशांत किशोर ने बिहार के भाजपा नेता और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को निशाने पर ले लिया है। पीके ने उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। बताया जा रहा है कि कोविड महामारी के दौरान मंगल पांडेय ने दिल्ली में 86 लाख रुपये में फ्लैट खरीदा, जिसमें उन्हें दिलीप जायसवाल की मदद मिली। इसके बाद पीके का कहना है कि मंगल पांडेय ने तुरंत दिलीप जायसवाल के कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया साथ ही पीके ने भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल को भी निशाने पर लिया है और उन पर तेल घोटाले के आरोप लगाए हैं। संजय जायसवाल पार्टी के दिग्गज नेता माने जाते हैं। इस तरह प्रशांत किशोर ने भाजपा के कई नेताओं को सियासी कटघरे में खड़ा कर दिया है। भाजपा के अंदर भी सवाल उठने लगे पीके के आरोपों के बाद अब भाजपा के अंदर से भी आवाज उठने लगी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह ने कहा कि दिलीप जायसवाल और सम्राट चौधरी को इन आरोपों का जवाब देना चाहिए। उन्होंने चेताया कि ऐसा न होने पर पार्टी और सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकता है। इस तरह भाजपा फिलहाल कशमकश में फंसी नजर आ रही है। पीके का सियासी हमला बिहार में पहले लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले के आरोपों ने उनकी "सोशल जस्टिस" की राजनीति को नुकसान पहुंचाया था, जिससे नीतीश कुमार को राजनीति में उभरने का मौका मिला। अब पीके उसी रणनीति को अपनाते हुए नीतीश कुमार की "ईमानदार नेता" वाली छवि पर निशाना साध रहे हैं। नीतीश कुमार की पूरी सियासत ईमानदारी पर टिकी है, लेकिन पीके के आरोपों के बाद उस पर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा ने हमेशा लालू यादव के परिवार पर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर अपनी सियासी जंग लड़ी है, लेकिन अब उसकी स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई है। अशोक चौधरी जहां नीतीश कुमार के करीब हैं, वहीं सम्राट चौधरी और दिलीप जायसवाल भाजपा नेतृत्व के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा चुनाव में लालू परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा कैसे मजबूत करेगी, जबकि उसके खुद के नेता सियासी कटघरे में हैं।