100 years of RSS: Rashtradharma issue launched in Lucknow, Hosabale said the capital of patriotism | RSS के 100 वर्ष: लखनऊ में राष्ट्रधर्म विशेषांक लॉन्च, होसबाले बोले- संघ की पूंजी सिर्फ राष्ट्रभक्ति | News Track in Hindi

100 years of RSS: Rashtradharma issue launched in Lucknow, Hosabale said the capital of patriotism | RSS के 100 वर्ष: लखनऊ में राष्ट्रधर्म विशेषांक लॉन्च, होसबाले बोले- संघ की पूंजी सिर्फ राष्ट्रभक्ति | News Track in Hindi

10/1/2025, 1:10:17 PM

Lucknow News: लखनऊ में बुधवार को गोमतीनगर स्थित भागीदारी भवन प्रेक्षागृह में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी RSS के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में RSS के मुखपत्र राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका के विशेषांक के विमोचन का कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले मौजूद रहे। दीप प्रज्जवल के बाद राष्ट्रधर्म पत्रिका के विशेषांक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाली गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद सोलंकी, विशिष्ठ अतिथि थारू समाज से आने वाली आरती राणा जी मौजूद रहीं। अपने सबोधन में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि RSS केवल एक संगठन नहीं बल्कि समाज परिवर्तन की शक्ति है। उन्होंने बताया कि 100 वर्षों की इस यात्रा में संघ ने शिक्षा, सामाजिक जागरण और राष्ट्रीय एकता के क्षेत्र में गहरा प्रभाव डाला है। होसबले ने कहा कि सरकार द्वारा डाक टिकट और स्मृति सिक्का जारी होना महत्वपूर्ण है, लेकिन असली मूल्य यह है कि संघ ने समाज पर कैसी छाप छोड़ी। राष्ट्रभक्ति और समाज सेवा ही थी संघ की पूंजी: दत्तात्रेय होसबाले सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अपने सबोधन में कहा कि संघ की पूंजी न उद्योगपतियों की मदद थी, न विज्ञापन का सहारा, बल्कि केवल राष्ट्रभक्ति और समाज सेवा की भावना थी। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने बीते 100 वर्षों में समाज के प्रति प्रेम, आत्मीयता और राष्ट्रधर्म के पालन का उदाहरण प्रस्तुत किया है। संघ की शाखाओं से निकलकर स्वयंसेवक जीवन के हर क्षेत्र में कार्यरत हुए और समाज में सकारात्मक परिवर्तन की राह दिखा रहे हैं। 'डाक टिकट या स्मृति सिक्का जारी हुआ लेकिन समाज पर कितना प्रभाव पड़ा ये महत्वपूर्ण है' दत्तात्रेय होसबाले ने आगे कहा कि भारत के पुनर्निर्माण की यात्रा केवल सरकारी नीतियों से नहीं बल्कि समाज की आत्मा और हिंदुत्व की संस्कृति से संभव हुई है। उन्होंने कहा कि डाक टिकट या स्मृति सिक्का जारी होना महत्त्वपूर्ण है, लेकिन संघ की असली छाप यह है कि उसने समाज में कितना प्रभाव डाला है। होसबाले ने युवाओं से आह्वान किया कि वे संघ की इस 100 वर्ष की साधना को आगे बढ़ाएं और राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को नई ऊर्जा दें। थारू समाज की आरती राणा भी रही मौजूद, विशेषांक में शामिल हैं 46 लेख इस मौके पर थारू समाज की प्रतिनिधि आरती राणा ने कहा कि उनका संगठन 15 हजार से अधिक महिलाओं को स्वावलंबन की राह दिखा रहा है। प्रो. विनोद सोलंकी ने अपने उद्बोधन में विवेकानंद के विचारों और राष्ट्रधर्म की ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख किया। कार्यक्रम में महापौर सुषमा खर्कवाल, महिला आयोग उपाध्यक्ष अपर्णा यादव, साहित्यकार आनंद पांडेय, असीम अरुण सहित कई गणमान्य मौजूद रहे। विशेषांक में शामिल 46 लेख और 158 पन्ने न केवल संघ की विचारधारा का सार प्रस्तुत करते हैं, बल्कि समाज की दिशा और दशा को समझने का मार्ग भी दिखाते हैं।