Lucknow News: घरवालों ने दिल ने निकाला तो बना ली अपनी एक अलग दुनिया

Lucknow News: घरवालों ने दिल ने निकाला तो बना ली अपनी एक अलग दुनिया

10/1/2025, 2:48:57 PM

लखनऊ (ब्यूरो)। बॉलीवुड की स्क्रीनराइटर गजल धालीवाल हों या फिर थर्ड जेंडर को उनके अधिकार दिलाने वाली लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, समाज में अपनी असली पहचान को सामने रखते हुए इस मुकाम तक पहुंचना इनके लिए आसान नहीं रहा। समाज के ताने हों, परिवार से बेदखली या फिर खुद की पहचान बनाने के लिए की गईं वे तमाम कोशिशें, जिनमें सिसकियों के साथ शिकायतें भी रहीं और उम्मीद भी कि कुछ तो बेहतर होगा। यही उम्मीद और हिम्मत थी, जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। हालांकि, इन रोल मॉडल्स जैसी कई इंस्पायरिंग कहानियां हमारे शहर भी हैं। जानिए उनमें से कुछ के बारे में 1- भिक्षावृत्ति से लेकर कथक डांसर तक का सफर भारत की पहली ट्रांसजेंडर कथक डांसर, उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की सलाहकार सदस्य, एक्टिविस्ट और राइटर के तौर पर ट्रांस कम्यूनिटी को मुख्यधारा से जोड़ने का काम कर रहीं देविका अपने सफर के बारे में बताती हैं कि बचपन में एक लड़का होते हुए भी मुझे लड़कियों की तरह रहना पसंद था। पर जब मैं 9 साल की थी तब पहली बार मेरे कजिन ने मेरा रेप किया। मैं बहुत डर गई थी। जब ये बार-बार होने लगा तो मैंने अपनी मम्मी को बताया पर उन्होंने मुझे ही पीटा। फिर एक दिन जब मैंने मम्मी से कहा कि मुझे लड़कियों की तरह रहना अच्छा लगता है, तो उन्होंने मुझे खींच कर थप्पड़ मारा और उसी रात मैं भाग कर दिल्ली आ गई, जहां पर मैंने भीख भी मांगी, देह व्यापार भी किया और अपनी पढ़ाई भी की। 'मां ने मेरे बाल काट दिए' वहीं पर मुझे मेरी गुरु कपिला राज शर्मा मिलीं। उन्होंने मुझे भीख मांगते देखा और कहा कि क्या तुम कथक सीखोगी? मैंने कहा कि वो क्या होता है तो उन्होंने मुझे बताया कि जो टीवी पर करते हैं क्लासिकल डांस। मैंने उनको कहा कि 10 रुपए दो और चलती बनो, लेकिन फिर भी उन्होंने मुझे अपना कार्ड दे दिया। इसके बाद मेरे पिता का देहांत हुआ तो मैं वापस घर गई, जहां मेरी मां ने मेरे बाल काट दिए। मैं लगभग पागल सी हो गई क्योंकि वो मेरा श्रृंगार था। इसके बाद मैंने कपिला राज शर्मा जी को कॉल किया और लखनऊ आ गई, जहां से मेरी लाइफ का अगला पड़ाव शुरू हुआ। मैंने कथक सीखा, अपनी राइटिंग पर ध्यान दिया, 2 किताबें लिखीं, कई कविताएं भी, देश-विदेश के बड़े मंचों पर परफॉर्म किया और देश की पहली ट्रांसजेंडर कथक डांसर बनी। आज मैं भारत की 6 अकादमियों में सेशन्स लेती हूं, जिसमें लबासना भी शामिल है। 2- भारत के पहले ट्रांसमैन सिनेमैटोग्राफर शिविका से शिवेन बने देश के पहले ट्रांसमैन सिनेमैटोग्राफर की जर्नी काफी उतार-चढ़ाव भरी रही। शिवेन बताते हैं कि शुरुआत से ही मुझे लड़कों की चीजें पसंद थीं, लेकिन 18 साल की उम्र में पहली बार मुझे लगा कि नहीं मैं अपनी बॉडी के अकॉर्डिंग नहीं हूं तो मैंने अपने एक दोस्त से बात की, जो ट्रांसमैन की तरह ही रह रहा था। उसने मुझे सारा प्रोसेस बताया ट्रांजिशन का और मैंने अपने पेरेंट्स को खुलकर कह दिया कि मुझे लड़की की तरह नहीं रहना। मेरे अंदर लड़कों की तरह फीलिंग है और मैं वैसे ही रहना चाहता हूं। मेरे घरवालों ने मुझे बहुत डांटा कि ऐसा नहीं होता है, नेचर से खिलवाड़ न करो, पर मैं नहीं रह पा रहा था वैसे और उनका कहना यही था कि अगर हमारे साथ रहना है तो लड़की की तरह रहना होगा। ऐसे में, मैंने अपना घर छोड़ दिया। पर उस टाइम मेरे सामने सबसे बड़ा सवाल सर्वाइवल का था तो फिर मैंने जॉब की, मेरी पढ़ाई तो हो ही गई थी लगभग तो मैंने मीडिया लाइन में काम किया, लेकिन मेरी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थीं तो फिर मैंने अपने दोस्तों से बात करके फोटोग्राफी और वीडियाग्राफी शुरू की। अपना खुद का ऑफिस बनाया और आज मैं एक सिनेमैटोग्राफर के तौर पर काम कर रहा हूं। मैं उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड का सदस्य भी हूं। 3- सबसे कम उम्र की गुरु 10 साल पहले अपना घर छोड़ चुकीं प्रियंका, जो आज ट्रांसजेंडर्स के हक के लिए एक एक्टिविस्ट के तौर पर काम कर रही हैं, सबसे कम उम्र की नायक हैं। वह अपने बीते समय में काफी कुछ झेल चुकी हैं। शुरुआत में फैमिली में जब उनके जेंडर को लेकर क्लैशेस हुए, उन्हें बुलीइंग का सामना करना पड़ा तो उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। प्रियंका बताती हैं कि मैं अपनी तरह रहना चाहती थी, जो फैमिली में पॉसिबल नहीं था इसलिए घर छोड़कर मैं अपनी दुनिया में आ गई। घरवालों ने मुझे ढूंढने की कोशिश भी की और एक बार मैं वापस भी गई, लेकिन मुझे अपनापन नहीं फील हुआ और फिर मैंने घर छोड़ दिया और प्राइड जॉइन कर लिया। प्राइड के लिए इवेंट्स करवाने लगी ताकि हम कुछ अर्निंग कर सकें। इसके बाद मेरी जर्नी आगे बढ़ी और आज मुझे लगता है कि मेरे काम ने मुझे पहचान दिलवाई है। हालांकि, सब आसान नहीं था। मुझे कई बार हैरेस किया गया, लेकिन मेरी लगन, मेहनत और लोगों के साथ कनेक्ट को देखकर ही मुझे किन्नर गुरु बनाया गया। मुझे लगता है कि शायद मैं सबसे कम उम्र की किन्नर गुरु हूं, जिसे नायक के तौर पर जिम्मेदारी मिली है। मैंने कई सारे टीवी सीरियल्स में भी काम किया है, मॉडलिंग भी करती हूं और लगातार ट्रांस कम्यूनिटी के लिए काम कर रही हूं ताकि उन्हें मुख्य धारा में लाया जा सके।