Dussehra 2025 Lucknow: लखनऊ में दशहरा की तैयारियां अंतिम दौर में, कल होगा रावण दहन

Dussehra 2025 Lucknow: लखनऊ में दशहरा की तैयारियां अंतिम दौर में, कल होगा रावण दहन

10/1/2025, 5:33:06 PM

लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में दशमी के दिन रावण दहन की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। इस बार भी समितियों द्वारा विभिन्न थीम पर आधारित रावण दहन की तैयारी की गई है। कहीं पर स्वदेशी तो कहीं अधर्म पर धर्म की विजय रूपी थीम तैयार की गई है। वहीं, बारिश की आशंका ने आयोजकों की चिंता बढ़ा दी है। 65 फीट के रावण का दहन ऐशबाग रामलीला समिति के अध्यक्ष हरीश अग्रवाल ने बताया, इस बार 65 फीट का रावण का पुतला तैयार किया गया है। पुतला दहन रात 9 बजे होगा। इस बार की थीम विदेशी निर्भरता, नस्लवाद और जातिवाद का समूल नाश है। पुतले में स्वदेशी ईको फ्रेंडली पटाखे लगाए जाएंगे। रावण का पुतला रमेश और गणेश ने तैयार किया है। मुख्य अतिथि के तौर पर दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य को निमंत्रण भेजा गया है। राज्यसभा सांसद डॉ। दिनेश शर्मा भी मौजूद रहेंगे। मौसमगंज रामलीला समिति के शिवकुमार ने बताया कि 35 फीट का रावण का पुतला तैयार हो रहा है। थीम अधर्म पर धर्म की जय है। शोभायात्रा निकाली जाएगी कानपुर रोड एलडीए कालोनी के सेक्टर-एच में श्रीराम की विजय शोभायात्रा के साथ रावण व कुंभकरण का पुतले का दहन होगा। संयोजक अरविंद मिश्रा ने बताया कि समिति दहन से पहले एक घंटे आतिशबाजी मुकाबला होगा। रावण का पुतला 40 फीट और मेघनाद का 35 फीट ऊंचा होगा। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर और विधायक डा। राजेश्वर सिंह रात नौ बजे पुतले का दहन करेंगे। एचएएल परिसर में शाम 7:30 बजे 40 फीट ऊंचे रावण और 35 फीट ऊंचे मेघनाद के पुतले का दहन करेंगे। आतिशबाजी के साथ रावण दहन होगा। चिनहट में 40 फीट के रावण और 30 फीट कुंभकरण के पुतले का दहन होगा। कमेटी के दिलीप ने बताया कि विधायक योगेश शुक्ला शाम आठ बजे पुतले का दहन करेंगे। दहन के दूसरे दिन शोभायात्रा और राज्याभिषेक होगा। विजयादशमी व विजय मुहूर्त आचार्य आनंद दुबे के मुताबिक गुरुवार को दोपहर 2:09 बजे से दोपहर 2:56 बजे विजय मुहूर्त है। दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक अपराजिता देवी का पूजन, शमी वृक्ष पूजन और सीमा उल्लंघन कर्म (शत्रु क्षेत्र में प्रवेश करना) करना शुभ होगा। वानर-भालू के साथ श्रीराम ने लंका पर बोला हमला ऐशबाग रामलीला के मंचन में बुधवार को हनुमानजी लंका दहन के उपरांत वापस लौटते हैं। जहां वे भगवान श्रीराम को माता सीता की खोज से लेकर लंका दहन तक का वृतांत सुनाते हुए चूड़ामणि देते हैं। उसे देख श्रीराम व्यथित हो जाते हैं और उसके बाद सभी लंका पर हमला करने की योजना बनाते हैं। लंका के दरबार से बहिस्कृत हो रावण का भाई विभीषण भी श्रीराम की शरण में आ जाता है। प्रभु श्रीराम उसे अपना मित्र बनाने के उपरांत उसका राजतिलक कर उसे लंका का राजा घोषित कर देते हैं। अंगद ने दिया शांति का प्रस्ताव श्रीराम युद्ध की तैयारी कर समुद्र से लंका जाने का मार्ग की आकांक्षा के साथ तीन दिनों तक समुद्र की याचना करते हैं। कोई नतीजा नही निकलता देख उन्हे समुद्र पर क्रोध आ जाता है। विनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीति। यह देख भय से कांपते समुंद्र देव प्रकट होते हैं। वे श्रीराम को विश्वकर्मा पुत्र नल और नील के बारे में बताते हैं। इसके बाद लंका पहुंच कर श्रीराम द्वारा अंगद को शांति प्रस्ताव के लिए भेजा जाता है। रावण अंगद संवाद, अंगद द्वारा रावण दरबार में पैर जमाने की लीला ने दर्शकों को खूब हर्षित किया। कुंभकर्ण का श्रीराम के हाथों वध प्रभु राम युद्ध की घोषणा कर देते हैं और फिर होता है गुरुमुख वध, राजकुमार पुहस्त वध और कुंभकर्ण को नींद से जागृत करने का क्रम और रावण कुंभकर्ण संवाद। इसके बाद युद्ध के लिए आए कुंभकर्ण का श्रीराम ने अपने इंद्रास्त्र से वध किया। वहीं, क्रोध से भर कर युद्ध के मैदान में उतरा रावण का पुत्र मेघनाथ श्रीराम और लक्ष्मण को अपने नागपाश में बांध देता है।