राजेंद्र प्रसाद के वॉश चित्रों की प्रदर्शनी लखनऊ की 'कोकोरो' आर्ट गैलरी में शुरू

राजेंद्र प्रसाद के वॉश चित्रों की प्रदर्शनी लखनऊ की 'कोकोरो' आर्ट गैलरी में शुरू

10/2/2025, 4:25:20 AM

लखनऊ, दो अक्टूबर (भाषा) परतों में बिखरे रंगों की सूक्ष्म पारदर्शिता, राधा-कृष्ण का स्वप्निल चित्रण, बुद्ध की चिंतनशील छवियां और ग्रामीण जीवन के रोजमर्रा के चित्र- ये सभी कलाकार राजेंद्र प्रसाद की कृतियों की प्रदर्शनी 'लौकिक-अलौकिक' का सार हैं। यह प्रदर्शनी बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की 'कोकोरो' आर्ट गैलरी में शुरू हुई। राष्ट्रीय स्तर पर सराहे गये चित्रकारों ने इस प्रदर्शनी में अपनी कलाकृतियों के जरिये ग्रामीण जीवन की सादगी और मानवीय भावनाओं की गहराई को कैनवस पर बखूबी उकेरा है। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, डॉ. वंदना सहगल के साथ मिलकर लगायी गई यह प्रदर्शनी बुधवार को लखनऊ के जॉपलिंग रोड स्थित 'कोकोरो' आर्ट गैलरी में बुधवार को शुरू हुई और आगामी आठ अक्टूबर तक इसे देखा जा सकता है। बयान के अनुसार, इस प्रदर्शनी में राजेंद्र प्रसाद ने अपनी वॉश तकनीक आधारित कलाकृतियों के जरिये ग्रामीण जीवन की सादगी और मानवीय भावनाओं की गहराई को उकेरा है। उनकी कृतियां अजंता की भित्ति चित्र शैली, मुगलकालीन बारीक चित्रकारी और राजस्थानी स्कूल की शैली से प्रेरित हैं। चित्रों में राधा-कृष्ण का प्रेम, बुद्ध का ज्ञानोदय और सामान्य जीवन के दृश्य- जैसे सूर्योदय को नमन करती स्त्री, बालों में कंघी करती युवती, टैटू बनवाते लोग या मछुआरों का जाल फेंकना विशेष आकर्षण हैं। बुद्ध पर आधारित चित्रों में भिक्षु का भिक्षापात्र, कमल पुष्प और बोधि वृक्ष जैसे प्रतीकात्मक तत्व दिखाई देते हैं। वॉश तकनीक को 1912 में नंदलाल बोस और असित कुमार हलदर ने प्रारंभ किया था, जिसे बी.एन. आर्य ने अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया। उनके शिष्यों में राजेंद्र प्रसाद प्रमुख रहे, जिन्होंने देश-विदेश में अपनी एकल प्रदर्शनियां लगाई हैं, जिनमें मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी, नयी दिल्ली का त्रिवेणी कला संगम और बेंगलुरु की चित्रकला परिषद शामिल हैं। उन्हें अनेक राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त हो चुके हैं।