आरएसएस शताब्दी समारोह: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय एकता से लेकर आत्मनिर्भर भारत तक दिए बड़े संदेश, जानें मुख्य बातें | rss-100-years-shatabdi-utsav-nagpur | Hari Bhoomi

10/2/2025, 5:02:07 AM
नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी विजयादशमी समारोह में सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने वार्षिक भाषण में आतंकवाद, राष्ट्रीय एकता, आत्मनिर्भरता, पर्यावरण संरक्षण और भारत की वैश्विक भूमिका पर स्पष्ट संदेश दिए। मोहन भागवत का संबोधन राष्ट्रीय एकता, आत्मनिर्भरता, पर्यावरण संरक्षण, और वैश्विक नेतृत्व पर केंद्रित है। वे चाहते हैं कि भारत मजबूत, स्वावलंबी, और पर्यावरण के प्रति जागरूक बने, साथ ही दुनिया के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करे। मोहन भागवत ने एक आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें सीमा पार से आए आतंकवादियों ने 26 भारतीयों की हत्या कर दी थी। इस घटना ने पूरे देश को शोक और गुस्से में डुबो दिया। लेकिन सरकार और सशस्त्र बलों ने पूरी तैयारी के साथ इसका माकूल जवाब दिया। इस एकता और साहस ने देश में एक आदर्श माहौल बनाया। इस घटना ने यह भी दिखाया कि कौन से देश भारत के सच्चे मित्र हैं और देश के भीतर कुछ असंवैधानिक तत्व देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। संदेश: हमें एकजुट रहकर देश की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करनी होगी। भागवत ने अमेरिका की नई टैरिफ नीति का उदाहरण देते हुए कहा कि हर देश अपने हितों को प्राथमिकता देता है। लेकिन आज की दुनिया में कोई भी देश अकेला नहीं रह सकता। सभी देश एक-दूसरे पर निर्भर हैं। भारत को स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर जोर देना चाहिए, ताकि हम मजबूरी में न फंसें। साथ ही, हमें बिना दबाव के सच्चे मित्र राष्ट्रों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखने चाहिए। संदेश: आत्मनिर्भर बनें, लेकिन दुनिया के साथ सकारात्मक रिश्ते भी बनाए रखें। भागवत ने बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन और भारी बारिश पर चिंता जताई। पिछले 3-4 सालों में यह पैटर्न बढ़ा है। हिमालय न केवल हमारी सुरक्षा दीवार है, बल्कि दक्षिण एशिया के लिए जल का स्रोत भी है। अगर मौजूदा विकास का तरीका इन आपदाओं को बढ़ा रहा है, तो हमें अपने विकास के मॉडल पर दोबारा विचार करना होगा। संदेश: पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर ध्यान देना जरूरी है। भागवत ने कहा कि जब सरकार जनता की समस्याओं से अनजान रहती है या उनके हित में नीतियाँ नहीं बनाती, तो लोग नाराज हो जाते हैं। लेकिन हिंसक विरोध या क्रांतियाँ इसका हल नहीं हैं। इतिहास बताता है कि हिंसक क्रांतियों से कोई बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं हुआ। उल्टा, इससे बाहरी ताकतों को देश में दखल देने का मौका मिलता है। संदेश: जनता और सरकार के बीच संवाद जरूरी है, और हिंसा के बजाय रचनात्मक तरीके अपनाए जाएँ। भारत की वैश्विक भूमिका:भागवत ने कहा कि दुनिया भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए भारत को एक मिसाल बनना होगा और दुनिया को रास्ता दिखाना होगा। संदेश: भारत को वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी।