India Hosts UN Peacekeeping Chiefs Conference in Delhi, Excludes China & Pakistan | भारत ने पूरी दुनिया में मचाई खलबली, UN के शांति सैनिकों को बुलाया दिल्ली, चीन-पाक की एंट्री बैन | News Track in Hindi

10/2/2025, 4:37:53 AM
India host UN peacekeeping: दुनियाभर में मची उथल-पुथल और युद्धों के बढ़ते खतरे के बीच, भारत ने वैश्विक शांति की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। भारत की मेजबानी में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक देशों (UN TCCs) के आर्मी चीफ्स का सम्मेलन राजधानी दिल्ली में 14 से 16 अक्टूबर तक आयोजित किया जा रहा है। इस बहुपक्षीय आयोजन में करीब 30 देशों के वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व शामिल होंगे, जो संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। दिलचस्प और कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत ने इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में अपने दोनों पड़ोसी और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में बड़े योगदानकर्ता चीन और पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया है। वहीं, भारत ने गाजा और यूक्रेन जैसे युद्धग्रस्त क्षेत्रों में अपने सैनिकों की संभावित तैनाती पर भी दो टूक जवाब देते हुए अपनी दशकों पुरानी नीति को स्पष्ट कर दिया है। यूएन के झंडे के बिना कहीं तैनाती नहीं सम्मेलन से पहले ही भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत तब तक विदेशी संघर्ष क्षेत्रों जैसे यूक्रेन या गाजा में सैनिकों की तैनाती नहीं करेगा, जब तक कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) इसकी अनुमति नहीं देता है। भारत का रुख साफ है कि दूसरे देशों में सैनिकों की तैनाती केवल यूएन के झंडे तले और यूएनएससी के प्रस्ताव के आधार पर ही होगी। रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव (अंतरराष्ट्रीय सहयोग) विश्वेश नेगी ने संभावित तैनाती पर सवालों का जवाब देते हुए कहा, "यूएन शांति सैनिक बलों का यूक्रेन या गाजा में तैनात होना अत्यंत असंभव है।" उन्होंने यूएनएससी की जटिल संरचना का हवाला दिया, जिसके कारण ऐसी सहमति प्राप्त करना कठिन है। यह भारत की नैतिक विदेश नीति और वैश्विक शांति व सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत का अतुलनीय योगदान और पहलकदमियाँ इस सम्मेलन की मेजबानी भारत के लिए गौरव की बात है। लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर, डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (IS&T), ने कर्टेन रेजर कार्यक्रम में अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य एक साझा मंच तैयार करना है, जहाँ विभिन्न देशों का अनुभव, दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता एकत्रित होकर शांति स्थापना की जिम्मेदारियों पर विमर्श करेंगे। भारत का संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में योगदान बहुत बड़ा रहा है। पिछले 75 वर्षों में भारत ने 50 मिशनों में 2,90,000 से अधिक शांति सैनिक भेजे हैं, जिनमें से 182 सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। वर्तमान में भी भारत के लगभग 5,000 सैनिक 11 सक्रिय मिशनों में तैनात हैं, और नेपाल व बांग्लादेश के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार 'ऑल वुमन पुलिस कंटिंजेंट' तैनात कर इतिहास भी रचा था। भारत लगातार बेहतर जनादेश, शांति सैनिकों की सुरक्षा और योगदान देने वाले देशों के उचित प्रतिनिधित्व की वकालत करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के दौरान 2021 में, भारत ने "UN शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों की जवाबदेही" और "शांति स्थापना के लिए तकनीक" जैसे अहम दस्तावेजों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सम्मेलन के प्रमुख एजेंडा और विजन इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होगी, जिनमें प्रमुख हैं: क्षमता निर्माण और सतत शांति स्थापना अभियानों के लिए संसाधन जुटाना। शांति स्थापना अभियानों में तकनीक का उपयोग। यह सम्मेलन प्रधानमंत्री मोदी के '5-S विजन' -- सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और समृद्धि -- की भावना में आयोजित किया जाएगा। प्रतिनिधि दल भारत की 'आत्मनिर्भर रक्षा' पहलों और तकनीकी समाधानों को भी देखेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "भारत संवाद, समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मिलकर हम ऐसा भविष्य बना सकते हैं, जहाँ हर व्यक्ति शांति, सौहार्द और गरिमा के साथ जीवन जी सके।" इस सम्मेलन से अपेक्षा है कि यह शांति सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाएगा और मिशन की प्रभावशीलता सुधारने के लिए तकनीकी विकल्पों की खोज करेगा। पाक और चीन को क्यों नहीं मिला न्योता? पाकिस्तान और चीन को आमंत्रित न करने का फैसला भारत के तनावपूर्ण संबंधों और सीमा विवाद को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की कथित संलिप्तता के कारण सैन्य संपर्क निलंबित हैं। वहीं, चीन के साथ सीमा तनाव और रणनीतिक चिंताओं ने इस निर्णय को प्रभावित किया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि यह आयोजन बहुपक्षीय सहयोग के लिए सीमित है, और उसने 30 से अधिक देशों को आमंत्रित किया है, जिनमें फ्रांस, जापान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देश शामिल हैं।