Punjab: NCRB की रिपोर्ट में हुए खुलासे ने उड़ाए होश, भारत का तीसरा सबसे खतरनाक शहर बना...

10/2/2025, 6:54:41 AM
लुधियाना (सुरिंदर): हाल ही में जारी एन.सी.आर.बी. की रिपोर्ट 2023 ने पंजाब के लिए एक खतरे की घंटी बजा दी है। रिपोर्ट के अनुसार सड़क हादसों में आगरा और आसनसोल के बाद लुधियाना भारत का तीसरा सबसे खतरनाक शहर बन गया है, जबकि मिजोरम और बिहार के बाद पंजाब देश का तीसरा सबसे घातक राज्य है। अंतर्राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और भाजपा पंजाब के प्रवक्ता डॉ. कमल सोई ने रिपोर्ट पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ संख्याएं नहीं हैं, ये वे पिता हैं जो कभी घर नहीं लौटे, वे माताए है जिनके बच्चे अब अनाथ हैं और वह नन्ही-मुन्नों की जिंदगियां जो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गईं। हमारा अपना शहर, लुधियाना, आज भारत में गाड़ी चलाने के लिए सबसे खतरनाक शहर होने का शर्मनाक तमगा हासिल कर चुका है। एक पंजाबी होने के नाते, मेरा दिल रो रहा है। एक सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और एक भाजपा प्रवक्ता होने के नाते, मैं सत्ताधारी व्यवस्था की उदासीनता पर क्रोधित हूं। यह पंजाब की सड़कों पर किसी नरसंहार से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट पंजाब सरकार की घोर विफलता का आईना है। लुधियाना में दर्ज की गई 504 दुर्घटनाओं में से 402 लोगों की जान चली गई, जिसमें 80% की चौंका देने वाली मृत्यु दर है। पंजाब में 6,276 दुर्घटनाओं में से 4,906 लोगों की मृत्यु हुई, जिसकी 78% की मृत्यु दर है। इसका मतलब है कि पंजाब में होने वाली 10 में से लगभग 8 सड़क दुर्घटनाएं मौत में बदल जाती हैं। पंजाब की सड़कें श्मशान बन गई हैं, जहां हर दिन निर्दोष लोगों की जान जा रही है। - तेज गति, नशे में गाड़ी चलाने और लापरवाही से गाड़ी चलाने के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं। - उपेक्षित ब्लैक स्पॉट, अंधे मोड़ और असुरक्षित जंक्शन जो लगातार लोगों की जान ले रहे हैं। - ट्रॉमा केयर और आपातकालीन प्रतिक्रिया का अभाव, जहां पीड़ित गोल्डन ऑवर में खून से लथपथ होकर मर जाते हैं - परिवहन और यातायात विभागों में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन। - दुर्घटना-घटाने के अभियान के साथ पंजाब में सड़क सुरक्षा आपातकाल की घोषणा करें। - सख्त प्रवर्तन अभियान, स्पीड कैमरे, शराब जांच, उल्लंघनों के प्रति शून्य सहनशीलता। - तत्काल पुनर्रचना, साइनेज और प्रकाश व्यवस्था के साथ किलर ब्लैक स्पॉट को ठीक करें। - गोल्डन ऑवर गारंटी के तहत प्रत्येक पीड़ित को 60 मिनट के भीतर ट्रॉमा केयर मिलनी चाहिए। - परिवहन और पुलिस अधिकारियों को हर चूक के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। - सामुदायिक सहभागिता : स्कूलों, कॉलेजों और परिवहन संघों को सड़क अनुशासन के लिए संगठित किया जाना चाहिए।