Bhopal MP News: दशहरा के दिन सुबह-सुबह रावण के पुतले को फूंक दिया, नशे में धुत युवक-युवतियां लाल कार से फरार

10/2/2025, 8:40:28 AM
दशहरा - बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, जहां राम की विजय और रावण का दहन लाखों लोगों को एक सूत्र में बांध देता है। लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यह पर्व सुबह ही एक शरारतपूर्ण घटना से कलंकित हो गया। बाग मुगालिया मैदान में शाम को धूमधाम से होने वाले रावण दहन से पहले ही, तड़के सुबह 6 बजे कुछ नशे में धुत युवक-युवतियों ने विशाल रावण पुतले को आग के हवाले कर दिया। लाल रंग की कार से आए ये शरारती तत्व आग लगाते ही फरार हो गए, और उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। दशहरा उत्सव समिति के सदस्यों में गुस्सा, स्थानीय लोगों में आक्रोश, और पुलिस में हड़कंप - यह घटना न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है, बल्कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रही है। घटना का पूरा ब्योरा: सुबह की शरारत ने छीनी शाम की धूम 2 अक्टूबर 2025, विजयादशमी का पावन पर्व। भोपाल में दशहरा उत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। बाग मुगालिया मैदान में दशहरा उत्सव समिति ने महीनों की मेहनत से 50 फीट ऊंचा रावण का पुतला तैयार किया था। कागज, कपड़े और पटाखों से सजा यह पुतला शाम 6 बजे धनुष-बाण के साथ दहन होने वाला था, जहां हजारों लोग रामलीला देखने और पटाखों की फुलझड़ियों का मजा लेने वाले थे। लेकिन सुबह के उजाले में ही सब कुछ बदल गया। चश्मदीदों के मुताबिक, करीब 6 बजे लाल रंग की स्विफ्ट कार मैदान के पास रुकी। कार से उतरे 4-5 युवक-युवतियां - हाथों में पेट्रोल की बोतलें और माचिस। वे नशे की हालत में चीखते-हुल्लड़ मचाते रावण पुतले के पास पहुंचे। "रावण जलाओ, जलाओ!" चिल्लाते हुए उन्होंने पुतले के पैरों में आग लगा दी। पटाखों के फटने की आवाज से पूरा इलाका गूंज उठा, और धुआं चारों तरफ फैल गया। कामयाबी पा चुके ये शरारती तत्व कार में सवार होकर फरार हो गए। पूरा वाकया 2 मिनट से भी कम समय में हो गया। समिति के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने बताया, "हमने रातभर पहरा दिया था, लेकिन सुबह की सैर पर लोग निकल चुके थे। जब धुआं दिखा, तो दौड़े। पुतला पूरी तरह जल चुका था। यह हमारी सालों की परंपरा पर हमला है। हमने तुरंत डायल 112 पर शिकायत की।" वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि युवतियां हंसते-हुंकारते आग लगाती हैं, जबकि युवक आसपास नजर रखते हैं। चश्मदीदों की जुबानी: नशे की धुंध में छिपी शरारत बाग मुगालिया के निवासी मोहन लाल, जो सुबह टहलने निकले थे, ने घटना का वीडियो बनाया। उन्होंने कहा, "मैंने देखा, लाल कार रुकी। चार लड़के-दो लड़कियां उतरे। वे नशे में थे - आंखें लाल, बोलचाल लड़खड़ाती। एक लड़की ने बोतल से पेट्रोल डाला, दूसरे ने माचिस जलाई। आग लगते ही वे 'याहू!' चिल्लाते भागे। हम चिल्लाए, लेकिन कार तेजी से निकल गई।" एक अन्य चश्मदीद, रिटायर्ड टीचर सुनीता बाई, ने बताया, "यह इलाका शांत है। दशहरा पर बच्चे उत्साहित थे। लेकिन ये युवक-युवतियां बाहर के लग रहे थे। शायद पार्टी से लौट रहे थे। पुतला जलते देखकर दिल दुखा। शाम का कार्यक्रम बर्बाद हो गया।" पुलिस सूत्रों के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज में कार का नंबर ट्रेस हो गया है। युवक-युवतियां 20-25 साल के लग रहे हैं, और नशे की वजह से पहचान मुश्किल। डायल 112 टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। दशहरा की परंपरा पर सवाल: भोपाल का 100 साल पुराना इतिहास भोपाल का दशहरा कोई नई बात नहीं। शहर में यह पर्व 100 साल से ज्यादा पुराना है। नवाबी हुकूमत के जमाने से ही चोला मैदान और कमला मंदिर पर रावण दहन होता था। आजादी के बाद बाग मुगालिया जैसे मैदान इसकी नई पहचान बन गए। हर साल यहां 10,000 से ज्यादा लोग जुटते हैं - रामलीला, मेले, और रावण-मेघनाद-कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन। यह न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव है, जहां बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश फैलता है। लेकिन इस शरारत ने परंपरा को ठेस पहुंचाई। समिति ने वैकल्पिक पुतला जल्द खड़ा करने का फैसला किया, लेकिन गुस्सा ठंडा नहीं। एक सदस्य ने कहा, "हमारी मेहनत बेकार। क्या ये युवा रामायण का अपमान नहीं समझते?" विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया की वजह से ऐसी शरारतें बढ़ रही हैं - 'वायरल' बनने की होड़ में। पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया: जांच तेज, लेकिन सवाल बाकी भोपाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। एसपी (सेंट्रल) ने कहा, "कार नंबर ट्रैक कर लिया। युवक-युवतियां जल्द पकड़े जाएंगे। नशा परीक्षण होगा।" डायल 112 की त्वरित कार्रवाई की तारीफ हो रही, लेकिन इलाके में सुरक्षा की कमी पर सवाल। दशहरा जैसे संवेदनशील मौके पर पहरा क्यों न था? सांस्कृतिक महत्व: रावण दहन क्यों, और क्यों न हो शरारत? रावण दहन रामायण का प्रतीक है - अधर्म पर धर्म की जीत। मान्यता है कि इसकी राख लगाने से शत्रु नाश होता है। लेकिन ऐसी घटनाएं परंपरा को मजाक बना देती हैं। भोपाल जैसे शहर में, जहां दशहरा पर्यटन का केंद्र है, यह पर्यटकों को भी निराश करेगा। विशेषज्ञ चेताते हैं: "युवाओं को जागरूकता की जरूरत। नशा और शरारत घातक संयोजन।"